Wednesday, 9 May 2018

ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) कहां स्थापित की?



  • 1599 ई. में पूर्व के साथ व्यापार करने के लिए ‘मर्चेंट एडवेंचर्स’ नामक एक अंग्रेजी कंपनी की स्थापना की गई, जिसे ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी एलिजाबेथ ने 31 दिसम्बर को, 1600 को पूर्व के साथ 15 वर्ष तक व्यापार का विशेषाधिकार दिया था।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित ‘सूरत’ में 1608 ई. में अपनी पहली व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) स्थापित की।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने तत्कालीन मुगल बादशाह जहांगीर की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘कैप्टन हाकिंस’ को 1608 ई. में भारत भेजा था, जो 1609 में मुगल दरबार में पहुंचा। वहां उसे 400 का मनसब और एक जागरीर दी गई। हाकिंस 1611 ई. तक मुगलों की तत्कालीन राजधानी आगरा में रहा था।
  • 1613 ई. में जहांगीर ने एक आज्ञा पत्र (फरमान) द्वारा अंग्रेजों को सूरत में स्थायी रूप से एक कोठी खोलने की अनुमति दे दी।
  • मुगल बादशाह से एक व्यापारिक संधि करने के उद्देश्य से इंग्लैण्ड के राजा जेम्स प्रथम का एक राजदूत ‘सर टामस रो’ 1615 ई. में जहांगीर के दरबार में आया और 1618 तक रहा। हालांकि वह कोई निश्चित व्यापारिक संधि करने में तो असफल रहा, लेकिन उसने मुगल बादशाह से अनेक स्थानों पर व्यापारिक कोठियां खोलने की अनुमति प्राप्त कर ली।
  • इस दौरान सूरत, आगरा, अहमदाबाद, भड़ौच और बड़ौदा में अंग्रेजी कोठियां खोली गई।
  • 1611 ई. में अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में अपनी पहली फैक्ट्री ‘मछलीपट्टनम्’ में स्थापित की, लेकिन जल्दी ही गतिविधियों का मुख्य केन्द्र मद्रास हो गया। 
  • फ्रांसिस डे ने विजयनगर साम्राज्य के प्रतिनिधि चंद्रगिरि से 1639 में मद्रास को पट्टे पर ले लिया। उसने वहां एक किलाबंद कोठी बनायी, जिसका नाम ‘फोर्ट सेंट जार्ज’ रखा गया।
  • 1626 ई. में ‘अर्मागांव’ में एक और कोठी खोली जो पुलीकट की डच बस्ती के उत्तर में स्थित थी।
  • 1632 ई. में गोलकुंडा के सुल्तान ने अंग्रेजों के लिए एक ‘सुनहरा फरमान’ जारी किया, जिसके मुताबिक 500 पैगोड़ा सालाना कर देने पर उन्हें गोलकुंडा राज्य के बंदरगाहों से स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार करने की अनुमति मिल गयी।
  • 1668 ई. में बंबई को पुर्तगालियों से दहेज में प्राप्त करने वाले चार्ल्स द्वितीय ने इसे अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी को दस पौंड वार्षिक के किराये पर दे दिया।
  • 1633 ई. में महानदी डेल्टा पर स्थित ‘हरिहरपुर’ तथा बालासेर में उन्होंने अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की।
  • इसके बाद पटना और कासिम बाजार (पश्चिम बंगाल) में भी कोठियां खोली।
  • बंगाल में अंग्रेजी व्यापार की मुख्य वस्तुएं इस प्रकार थीं- रेशम, फुटकर सूती कपड़े, शोरा और चीनी।
  • 1651 ई. में अंग्रेजों को हुगली में व्यापार करने की अनुमति मिल गयी।
  • 1658 ई. में बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा कोरोमंडल समुद्र तट की सभी बस्तियां फोर्ट सेंट जार्ज के अधनी आ गयी।


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