Thursday, 10 May 2018

मथुरा शैली के बारे में संक्षेप में बतायें। यह गांधार शैली से कैसे अलग है?



  • मूर्तिकला की मथुरा शैली ईसा सन् की आरम्भिक सदियों में विकसित हुई। कुषाणकालीन मथुरा शैली बनावट की दृष्टि से भरे पूरे शरीर तथा विशालता के लिए प्रसिद्ध है। 
  • मथुरा कला में बालों तथा मूंछ-रहित मूर्तियों का निर्माण होता था, जो मूलतः भारतीय है। मथुरा शैली को गुप्त काल में भी अपनाया गया। 
  • इस शैली की मूर्तियां बहुत बड़ी संख्या में बनी और मध्य एशिया सहित अन्य देशों में भेजी गयी। मथुरा शैली में बौद्ध के अतिरिक्त हिन्दू तथा जैन मूर्तियों को भी बनाया गया। 
  • इस शैली में मूर्ति लाल पत्थरों द्वारा निर्मित होती थी। बुद्ध के चेहरे पर मूंछे तथा पैरों मं कहीं-कहीं चप्पलों को भी दिखाया गया है। इस पर यूनानी कला का प्रभाव भी दिखायी देता है।
  • गांधार शैली और मथुरा शैली में अंतर-
  • गांधार शैली में शरीर की रचना संबंधी विवरणों तथा शारीरिक सौन्दर्य पर बल दिया गया है जबकि दूसरे में मूर्ति को पवित्र और आध्यात्मिक भावना देने का प्रयत्न किया गया है। 
  • गांधार कला यथार्थवादी और मथुरा शैली आदर्शवादी है।
  • गांधारकला भारत-यूनानी है, जबकि मथुरा कला मूलतः भारतीय है।

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